मंगलवार, 20 नवंबर 2007

आपका स्‍वागत है

मेरे चिट्ठे पर पधारने के लिए धन्‍यवाद. यह चिट्ठा अभी निर्माणाधीन है. जल्‍द ही आप इस पर सामग्री देख पाएंगे. इस चिट्ठे पर मैं अपने मौलिक विचार रखूंगा जो हर विषय पर होंगे. सामयिक घटनाचक्र, सामाजिक सरोकार, चिट्ठाजगत, राजनीति, खेल.... यानि सब कुछ. आप चाहें तो इसे खिचड़ी चिट्ठा कह सकते हैं लेकिन यह ऐसा ही रहेगा. अपने विचारों की मौलिक अभिव्‍यक्ति के लिए मैने इस चिट्ठे को चुना है. आशा करता हूं कि चिट्ठा आपको पसेद आएगा.

मुझे यह सुझाव कुछ मित्रों ने दिया है कि मैं विषयों का घालमेल नहीं करूं तो अधिक उपयोगी चिट्ठे लिख सकूंगा. लिहाजा मैने अब से अलग-अलग चिट्ठों पर लिखने का निर्णय किया है. अब से हल्‍की फुल्‍की और रोचक जानकारी देने का काम मेरे पहले चिट्ठे वेताल उवाच पर जारी रहेगा और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी उपयोगी और रोचक जानकारी देने का काम मेरे तीसरे चिट्ठे सेहतनामा पर चलेगा. अत: इन दोनों चिट्ठों पर भी पधारें. आपके सुझावों का सदैव स्‍वागत है.

1 टिप्पणी:

हेमन्त ’शब्दाश्रित’ ने कहा…

aapaka prays nishchy he swagatyogy hai. aur is tarah yakenan ham padhne walo ko bhee ek vishay par vistrat jaankaree prapt ho skegee.ab bat apnee sir aap kee bat sahee hai lekin ab itnee lambee bhumika kee wajh ham dusree kisht me dege.ummeed hai aap ke prashno ka uttar de payege.

चिट्ठे का नया प्रकाशन स्‍थल

संजय उवाच को मैने अपने जालस्‍थल पर स्‍थानांतरित कर दिया है. नया पता यह है.... Sanjay Uvach http://www.sanjayuvach.com