शनिवार, 5 जनवरी 2008

पुलिस ने एक ब्‍लॉगर को जेल में डाला

ब्‍लॉगर्स के लिए यह बुरी खबर है. सउदी अरब के सबसे लोकप्रय ब्‍लॉग के लेखक फुआद अल फरहान को वहां की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया क्‍योंकि उन्‍होंने राजनीतिक भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अपने ब्‍लॉग पर आवाज उठाई. सउदी अरब में काफी लोग अंग्रेजी और अरबी में ब्‍लॉग लिखते हैं लेकिन पुलिस के ऐसे हस्‍तक्षेप का यह पहला मामला है. कुवैत, बहरीन और मिस्र जैसे देशों से ब्‍लॉगर्स को उत्‍पीडि़त किए जाने के समाचार आते रहते हैं. अब सउदी अरब में भी यह शुरू हो गया है.

एक सीधे नजरिए से देखें तो ऐसी घटनाएं अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता के हनन का मामला दिखती है और हम कूद कर इसके खिलाफ भर्त्‍सना के स्‍वर उठाने लगते हैं. फरहान की गिरफ्तारी भी ऐसा ही मामला है और इसकी सभी निंदा कर रहे हैं. उन्‍हें करीब एक माह पहले पकड़ा गया था. बहरहाल क्‍या यह घटना सिर्फ निंदा किए जाने का विषय मात्र है? या इसके निहितार्थ कुछ और भी हैं.

मेरे ख्‍याल से इसका दूसरा पहलू यह है कि ब्‍लॉगिंग अब एक ऐसी ग्‍लोबल विधा बन गई है कि इसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. एक ब्‍लॉगर को अपने विचारों की अभिव्‍यक्ति के लिए जेल में बंद किया जाना इस बात का प्रमाण है कि ब्‍लॉग को लोग गंभीरता से लेते हैं. सउदी अरब की सरकार को फरहान के लेखन से कुछ नुकसान होने का अंदेशा था इसीलिए उन्‍हें गिरफ्तार किया गया. हालांकि यह अलग बात है कि इससे फरहान की आवाज को दबाया नहीं जा सका क्‍योंकि उनकी गिरफ्तारी से उन लोगों का ध्‍यान भी फरहान के ब्‍लॉग की ओर चला गया जो उसे नहीं पढ़ रहे थे.

वैचारिक अभिव्‍यक्ति का हनन करने के लिए दमन का रास्‍ता बहुत पहले से अपनाया जाता रहा है. आज भी सरकारें मीडिया को गाहे ब गाहे इस दमनवादी मानसिकता की झलक दिखलाती रहती हैं. पाकिस्‍तान में पिछले दिनों यही किया गया. लेकिन ब्‍लॉगर्स के साथ ऐसा आमतौर पर नहीं होता था. यह नई परंपरा की शुरूआत है और इससे ब्‍लॉगिंग को मजबूती ही मिलेगी.

भारत में भी प्रकारांतर से यह चलता रहता है. हालांकि हमारे यहां ब्‍लॉगर्स को इस तरह जेल नहीं भेजा जाता वरना हर दिन आधे से ज्‍यादा चिट्ठाकार जेल में होते. बहरहाल फरहान की गिरफ्तारी का मामला केवल निंदा करने का विषय नहीं है. इससे प्रमाणित हो गया है कि ब्‍लॉग एक ग्‍लोबल वायस बन चुका है. ब्‍‍लॉगर्स को अपनी इस ताकत का सही दिशा में और सकारात्‍मक इस्‍तेमाल करना चाहिए.

4 टिप्‍पणियां:

Dr Parveen Chopra ने कहा…

संजय जी, इस पोस्टिंग के माध्यम से आप ने एक बहुत ज्वलंत मुद्दा बलागर कम्यूनिटी के सामने रखा है। आने वाले समय में तो यह वायरस खूब फैलेगी। संजय जी, देश में बलागरों का संगठन -वठन नहीं है क्या ?- किसी जगह दो दिन पहेल पढ़ रहा था कि कुछ समय पहले बलागरों का एक मिलन कार्य़क्रम हुया था दिल्ली में। इस के बारे में कुछ पता हो तो बताएं। हिंदी बलागरों के विचारों में बहुत ओरिजिनैलिटि है और वे सब दिल से लिखते हैं---ऐसा मैंने बलागिरी के अपने कुछ दिनों में नोटिस किया है।.ok, then, फिर किसी बलाग के बहाने बात करेंगे।
शुभकामनाएं

ghughutibasuti ने कहा…

सऊदी अरब में कभी भी किसी तरह की स्वतंत्रता नहीं थी, ना अगली कुछ दशाब्दियों तक होगी । वहाँ बहुत छोटी सी बात भी गिफ्तार करने , यदि विदेशी हो तो देशनिकाले , या सजा दिये जाने के लिए बहुत है । डॉ चोपड़ा की बात में जान है ।
डॉ चोपड़ा, दिल्ली में ऐसे मिलन होते रहते हैं और चिट्ठे द्वारा ही सबको खुला निमन्त्रण दिया जाता है । यदि अधिक बड़ा आयोजन ना भी हो तो जब भी दिल्ली से बाहर का ब्लॉगर दिल्ली जाता है तो कुछ ब्लॉगर मित्र उससे अवश्य मिल लेते हैं ।
नववर्ष की शुभकामनाओं सहित
घुघूती बासूती

विजय गौड़ ने कहा…

मित्र निश्चित ही ऎसी कार्रवाई की मुखालफ़त होनी चाहिए। इस विष्य पर कुछ ठोस जानकारियां, यदि आपके पास है तो, आपको उन्हएं रखना चाहिए। उम्मीद है इस तरह से एक बार फ़िर आप इस खबर को ज्यादा गम्भीरता से उस ब्लागर साथी के ब्लाग के लिंक के साथ और नयी जानकारियों के साथ उपस्थित होगे।

विजय गौड़ ने कहा…

मित्र निश्चित ही ऎसी कार्रवाई की मुखालफ़त होनी चाहिए। इस विष्य पर कुछ ठोस जानकारियां, यदि आपके पास है तो, आपको उन्हएं रखना चाहिए। उम्मीद है इस तरह से एक बार फ़िर आप इस खबर को ज्यादा गम्भीरता से उस ब्लागर साथी के ब्लाग के लिंक के साथ और नयी जानकारियों के साथ उपस्थित होगे।

चिट्ठे का नया प्रकाशन स्‍थल

संजय उवाच को मैने अपने जालस्‍थल पर स्‍थानांतरित कर दिया है. नया पता यह है.... Sanjay Uvach http://www.sanjayuvach.com