
खास बात यह है कि दस्तक नामक इस पेज की पूरी सामग्री हिंदी चिट्ठाकारिता से जुड़े कुछ चिरपरिचित चिट्ठाकारों ने लिखी है. लेकिन सबसे उल्लेखनीय तथ्य यह है कि दस्तक के अतिथि संपादक का दायित्व हिंदी चिट्ठाकारी के सबसे लोकप्रिय और वरिष्ठ चिट्ठाकार श्री रविशंकर रतलामी ने निभाया है. इनके अलावा अनामदास, बालेंदू शर्मा दधीच, देबाशीष चक्रवर्ती, रवीश कुमार, मैथिली गुप्त, अनिल रघुराज, अभय तिवारी और उड़न तश्तरी के नाम से विख्यात समीर लाल ने हिंदी चिट्ठाकारी और ब्लॉग्स के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं. इसके अलावा हिंदी चिट्ठों के बारे में कुछ ऐसी जानकारियां भी दी गई हैं, जो खास तौर से उन लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होंगीं जिन्हें हिंदी चिट्ठाकारी के संबंध में कोई जानकारी नहीं है.
अपने आप में बेहद अनूठे इस पेज का आकल्पन और प्रस्तुति दैनिक भास्कर के भोपाल संस्करण में कार्यरत समाचार संपादक श्री अजित वडनेरकर की है. श्री वडनेरकर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. वे हिंदी चिट्ठों के चंद सबसे उपयोगी और लोकप्रिय चिट्ठों में से एक शब्दावली के रचयिता हैं.
दैनिक भास्कर के पाठकों को तो यह पेज सहज उपलब्ध है लेकिन आप इसे यहां देख भी सकते हैं. पूरे पेज की छवि आपके अनलोकनार्थ प्रस्तुत है.
12 टिप्पणियां:
बड़ा अच्छी प्रस्तुति बनी है, दैनिक भास्कर वालों ने नया यह किया है कि ब्लागिंग से संबंधित वेबसाइट्स के URL भी दिये हैं, और ब्लागिंग कैसे करें, इसके लिये उपयोगी साइट्स के URL भी दिये हैं. इससे निश्चित ही ब्लागरों व ब्लाग पाठकों की संख्या में इजाफा होगा.
वाह दैनिक भास्कर! वाह अजीत जी!
जय हो। बस जरा चमकते पन्ने की तरह कमाई का भी जुगाड़ बने तो, अंग्रेजी-जापानी पानी भरते नजर आएंगे।
kya baat hai, itna bara pej to pehli baar dekha...lage rahi munna bhai.
Lekin saare photos me sirf Abhay hi 'lekhak' type lag rahe hain.
jay ho puri team ke liye, itne detail me likhne ke liye
संजय जी, आपका बहुत-2 धन्यवाद, इस पृष्ठ को हम सब तक पहुँचाने के लिए. यकीनन दैनिक भास्कर भोपाल की समर्पित टीम और अजित जी के बगैर यह असंभव था.
सिरिल जी, मैं यूआरएल प्रकाशन के लिए पहले से दृढ़ था, और मुझे खुशी है कि भास्कर संपादन टोली ने यह बात मानी, और इसे आप सभी सराह रहे हैं, धन्यवाद.
हर्षवर्धन जी, बालेंदु जी की बात पर गौर करें - बाप रे! बड़ी मेहनत का काम है...
तरुण जी, क्या कहना चाह रहे हैं आप? लेखक टाइप? माने लेखक नहीं, और बाकी सब लेखक? :)
गजब. और अच्छा काम. भास्कर मैं भी लेता हूं लेकिन लगता है यह केवल भोपाल संस्करण में ही आया है.
कमाल है ! दैनिक भास्कर के इस लेख में चर्चा राय लिए जाने के योग्य एक भी स्त्री ब्लॉगर नहीं थी क्या ?? बहुत ही निराशाजनक लेख !!
नीलिमा जी, आपका कहना सही है. हम खेद प्रकट करते हैं.
परंतु पिछली दफ़ा (संदर्भ सृजन पुरस्कार...)स्त्री ब्लॉगर को फर्स्ट एमंग इक्वल माना तो लोगों ने हमारे विचार के ऊपर दही फेंक दिया - बोले - ब्लॉगर इज ए ब्लॉगर, एंड ए ब्लॉगर हैड नो जेंडर.
-सो देअर यू आर!
बहुत बढ़िया!!
अफसोस है कि रायपुर भास्कर में यह नही आया और अफसोस तो इस बात का भी है कि रायपुर भास्कर ब्लॉगजगत की नोटिस ही नही लेता दिखता कभी, अजित वडनेरकर जी सुन रहे है न?
भास्कर भोपाल टीम के शुक्रगुजार
इतनी जानकारी एक साथ
रवि जी आप की बात सोलह आने सही है फ़िर भी अपने नाम देखने का लोभ है इससे इंकार नहीं कर सकते। हिन्दी ब्लोगरस अगर सिर्फ़ तीन हजार ही है तो एक पन्ना क्या सिर्फ़ सबके नाम और यू आर एल देने के लिए लगाया जा सकता है क्या?
बिल्कुल सही कहा रवि जी ब्लॉगर इज ए ब्लॉगर, एंड ए ब्लॉगर हैड नो जेंडर. और इसके साथ साथ आपने ये भी सिद्ध कर दिया की अगर जो ब्लॉगर महिला है वह अगर "आप की " बात के अनुसार नहीं चलेगी तो उनका जिक्र नहीं किया जाएगा । यानी जो लिखवा सकतें हैं , जो मीडिया से जुडे है उनसे बना कर रखो वरना ब्लॉगर ही नहीं समझे जाओगे । आप ब्लॉगर को महिला मान सकते है पर महिला को ब्लॉगर मानने मे अभी उज्र है । और आप बार बार खेद ना माँगा करे क्योकि अभिव्यक्ति की स्वंत्रता का अर्थ यही है । -सो देअर यू आर!
'ब्लॉगर' का स्त्रीलिंग शब्द क्या होगा? 'ब्लॉगरिन' या 'ब्लॉगरानी'?
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