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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2008

ब्रह्मात्‍मज के बहाने, इंटरनैट पर हिंदी

चिट्ठाकार पर देबाशीष जी ने एक कड़ी देकर इस समाचार की ओर ध्‍यान आकर्षित कराया है. समाचार इस बात पर केंद्रित है कि हिंदी की स्थिति क्‍या है? संदर्भ हैं हिंदी फिल्‍मों के जाने-माने समीक्षक अजय ब्रह्मात्‍मज द्वारा अपना ब्‍लॉग रोमन भाषा में लिखा जाना. मैं यहां ब्रह्मात्‍मज पर टिप्‍पणी नहीं कर रहा हूं बल्कि हिंदी के बारे में कुछ कहना चाहता हूं.

चिट्ठे का नया प्रकाशन स्‍थल

संजय उवाच को मैने अपने जालस्‍थल पर स्‍थानांतरित कर दिया है. नया पता यह है.... Sanjay Uvach http://www.sanjayuvach.com